Sunday, February 19, 2012

शिवजी श्रीवास्तव

आम बौराया
फागुनी बयार ने
चूमा जो उसे 
 -शिवजी श्रीवास्तव




बेटियां हँसी
छेड़ दी हवाओं ने
सरगम सी 
 -शिवजी श्रीवास्तव



बेला गोधूली
आलता रचा रही
साँझ सुंदरी 
-शिवजी श्रीवास्तव

1 comment:

शशिकांत गीते said...

तीनों हाइकु बहुत अच्छे लगे. शिवजी श्रीवास्तव जी को बधाई. आपको धन्यवाद डा. व्योम सा.