Thursday, February 06, 2014

कन्नड़ हाइकु

कन्नड़ में शा० बालूराव ने कुछ हाइकु लिखे हैं, उनका कन्नड़ में लिखा एक हाइकु जिसका हिन्दी अनुवाद गिरधर राठी ने किया है-

==कन्नड़ हाइकु==

नदिय दंडिगे मेले
गाळि बेरळिन आट
अलेय अश्रुत गान

-शा० बालूराव
(हाइकु 18, अगस्त 1982)


==हिन्दी अनुवाद==

दरिया की डंडी पर
हवा की अंगुलियों की थिरकन
लहरों के अनसुने गीत

(अनुवाद : गिरधर राठी)

1 comment:

Jyotirmai said...

आ.व्योम जी सर्वप्रथम हार्दिक आभार इस कार्यशाला के आयोजन के लिए...इससे सभी को लिखने का अवसर मिला और एक ही चित्र में निहित अलग -अलग भावों ,कल्पनाओं के सजीव शब्द -चित्र देखने को मिले .आपकी विषद प्रतिक्रियाओं और सभी के हाइकु पढ़कर चित्र के विषय की व्यापकता से ज्ञानवर्धन हुआ है .