Saturday, September 10, 2011

सत्यानन्द जावा

लाई पवन
सोंधी मिट्टी की बास
तू आसपास 
 -सत्यानन्द जावा

बचता रहा
झूठ की चादर ओढ़े
सच की धूप से ।

 -सत्यानन्द जावा

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