डा० मिथिलेश दीक्षित की हाइकु कविताएँ -
पानी की कमी
आँसू टपका रही
पानी की टंकी
पकड़ लेते हैं
एक दूसरे की बाँह
धूप और छाँह
हिलता नहीं
मजबूत जड़ों का
साहसी पेड़
आशा के बीज
छिपे हैं अदृश्य में
पुष्पित होंगे
रेत के घर
सागर की लहरें
कब ठहरे हैं
धूप बीनती
मृदुल दूब पर
बिखरे मोती
-डा० मिथिलेश दीक्षित
पानी की कमी
आँसू टपका रही
पानी की टंकी
पकड़ लेते हैं
एक दूसरे की बाँह
धूप और छाँह
हिलता नहीं
मजबूत जड़ों का
साहसी पेड़
आशा के बीज
छिपे हैं अदृश्य में
पुष्पित होंगे
रेत के घर
सागर की लहरें
कब ठहरे हैं
धूप बीनती
मृदुल दूब पर
बिखरे मोती
-डा० मिथिलेश दीक्षित
2 comments:
मेरे लिये नयी विधा है पर सु्दर लगती है
चंगी विधा मन मोहती है
Post a Comment