Sunday, May 01, 2011

त्रिलोक सिंह ठकुरेला

पूछती रही
मानवता का पता
व्याकुल नदी
 -त्रिलोक सिंह ठकुरेला

2 comments:

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर ।

ana said...

बहुत सुंदर ।