Sunday, December 20, 2009

छीन ही लिया / नदी का नदीपन / प्यासे बाँधों ने

हाइकु दिवस-2009

हाइकु दिवस समारोह ४ दिसम्बर २००९ को कमलेश भट्ट कमल  के आवास के.एल. १५४, कवि नगर, गाजियाबाद, पर आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता गीताभ संस्था के अध्यक्ष ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग ने की। मुख्यअतिथि थे बी.एल.गौड़ तथा विशिष्ट अतिथि थे वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप तलवार। विशिष्ट वक्ता के रूप में सुप्रसिद्ध कवि डा० कुंअर बेचैन को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। डा० बेचैन ने हाइकु कविता पर केन्द्रित अपना विस्तृत आलेख प्रस्तुत किया। प्रो० सत्यभूषण वर्मा को हिन्दी हाइकु कविता के लिए उनके द्वारा किए गए योगदान को विशेष रूप से याद करते हुए डा० कुँअर बेचैन ने जापान से आई १७ वर्णों की इस काव्य विधा (हाइकु) को रचनाकार के निजी "आई क्यू" की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि डा० सत्यभूषण वर्मा ने भारत में हाइकु कविता को प्रतिष्ठित करने में अहं भूमिका निभाई है। हाइकु कविता वर्तमान में स्वयं को विश्व की तमाम भाषाओं में स्थापित कर रही है तथा आगे आने वाला समय काव्य की इस संक्षिप्ततम विधा को और भी स्वीकार करेगा।
सुप्रसिद्ध चित्रकार डा० लाल रत्नाकर ने साहित्यिक एवं कलात्मक गतिविधियों को महानगर की सांस्कृतिक जड़ता को तोड़ने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास बताया। समारोह के संयोजक कमलेशभट्ट कमल ने हाइकु क्षेत्र में प्रो० सत्यभूषण वर्मा के महत्त्वपूर्ण प्रयासों को रेखांकित करते हुए हाइकु दिवस समारोह तथा हाइकु जगत की उपलब्धियों की चर्चा की।
हाइकु समारोह में हाइकु कविताओं का पाठ भी किया गया। सामाजिक रिश्तों में बढ़ रही संवेदनहीनता तथा नई पीढ़ी के बीच आपसी बैर-भाव को केन्द्रित करते हुए हाइकु प्रस्तुत किए-
बूढ़े घर में
अँधेरा बढ़ा गया
कुलदीपक ।
***
नई पीढ़ियाँ
तलवारें ले हाथ
गले मिलेंगी। -(डा० अंजू सुमन)
भारतीय नारी की तमाम संभावनाओं को घर गृहस्थी के सीमित दायरों तक सिकुड़ने की त्रासदी को डा० मधु भारतीय ने हाइकु में रेखांकित करते हुए कहा-
तवा कड़ाही
दाल-रोटी धुलाई
उम्र बिताई। -(डा० मधु भारतीय)

कमलेश भट्ट कमल के हाइकु सुने


















हाइकु दिवस २००९

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