डा० राजकुमार पाटिल की हाइकु कविताएँ --
सौंधी महक
बादल का शावर
धरा नहाई
रजाईयों ने
हाथ पैर फैलायें
जाड़ा आ गया
भूखें बच्चों को
क्यों खिलौने दिखाए
खिलौने वाला
आँखों पे रखा
नन्ही उंगलियों को
जीवन छुआ
-डा० राजकुमार पाटिल
सौंधी महक
बादल का शावर
धरा नहाई
रजाईयों ने
हाथ पैर फैलायें
जाड़ा आ गया
भूखें बच्चों को
क्यों खिलौने दिखाए
खिलौने वाला
आँखों पे रखा
नन्ही उंगलियों को
जीवन छुआ
-डा० राजकुमार पाटिल
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