Thursday, July 26, 2012

राजकुमार पाटिल

डा० राजकुमार पाटिल की हाइकु कविताएँ --


सौंधी महक
बादल का शावर
धरा नहाई


रजाईयों ने
हाथ पैर फैलायें
जाड़ा आ गया



भूखें बच्चों को
क्यों खिलौने दिखाए
खिलौने वाला


आँखों पे रखा
नन्ही उंगलियों को
जीवन छुआ


-डा० राजकुमार पाटिल

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