अपार सिंधु
अनिमिष निहारे
नवेली निशा।
-स्वाति भालोटिया
अनिमिष निहारे
नवेली निशा।
-स्वाति भालोटिया
बिक गए वो
खुद पे नाज़ वाले
मुस्कुराने से
-स्वाति भालोटिया
खुद पे नाज़ वाले
मुस्कुराने से
-स्वाति भालोटिया
ओस की बूँद
जग को दिखलाये
जीवन-बिम्ब
-स्वाती भालोटिया
आंखों के पाखी
लौट चले घरौंदा
रुकी न रात
-स्वाती भालोटिया
जीवन-क्रम
पानी की कहानी है
सूखा, सुनामी
-स्वाती भालोटिया
सुन पुकार
संग हवा की धार
डोले सरसों
-स्वाती भालोटिया
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