Saturday, February 11, 2012

स्वाती भालोटिया

अपार सिंधु
अनिमिष निहारे
नवेली निशा।

-स्वाति भालोटिया


बिक गए वो
खुद पे नाज़ वाले
मुस्कुराने से

-स्वाति भालोटिया



ओस की बूँद
जग को दिखलाये
जीवन-बिम्ब
-स्वाती भालोटिया


आंखों के पाखी
लौट चले घरौंदा
रुकी न रात
-स्वाती भालोटिया


जीवन-क्रम
पानी की कहानी है
सूखा, सुनामी
 -स्वाती भालोटिया


सुन पुकार
संग हवा की धार
डोले सरसों
-स्वाती भालोटिया

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