ईर्ष्या का धुआँ
छा जाता, दृष्टिपथ
बनता कुआँ
-मीना अग्रवाल
संबन्ध राख
चढ़ती स्नेह पर
न कोई साख
-मीना अग्रवाल
आस की डोर
पहुँचाती ऊपर
पकडे़ छोर
-मीना अग्रवाल
छा जाता, दृष्टिपथ
बनता कुआँ
-मीना अग्रवाल
संबन्ध राख
चढ़ती स्नेह पर
न कोई साख
-मीना अग्रवाल
आस की डोर
पहुँचाती ऊपर
पकडे़ छोर
-मीना अग्रवाल
5 comments:
बहुत खूब सभी ..बेहतरीन
व्योमजी, मेरे हाइकु आपने ‘हाइकु दर्पण’ में प्रकाशित किए,बहुत-बहुत आभारी हूँ. रजनीजी और स्वातिजी के हाइकु आज के संदर्भ में सटीक हैं. दोनों को बधाई.
मीना अग्रवाल
व्योमजी, मेरे हाइकु आपने ‘हाइकु दर्पण’’ में प्रकाशित किए,बहुत-बहुत आभारी हूँ. रजनीजी और स्वातिजी के हाइकु आज के संदर्भ में सटीक हैं. दोनों को बधाई.
मीना अग्रवाल
Meena Agrawal,Swati Bhalotiya evam Rajani Bhargav sabhi ke haiku bahut achchhe hai.
TRILOK SINGH THAKURELA
शुभ दीपावली
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