Thursday, June 30, 2011

सुरेश कुमार

वर्षा की बूंदें
पौधों के पत्तों पर
चमकें मोती
  -सुरेश कुमार



धवल मेघ
नीले आसमान पर
रुई के फाहे
 -सुरेश कुमार



जीना सार्थक
तभी जब पता हो
अर्थ जीने का
 -सुरेश कुमार



महानगर में
रेंगते चींटियों से
लघु मानव
 -सुरेश कुमार



हर इंसान
अपने में अकेला
हलकी लौ' सा
-सुरेश कुमार

1 comment:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सभी हाइकु बहुत सुंदर.... अर्थपूर्ण हैं...